केवल व्यभिचार करना, हत्या करना या चोरी करना ही पाप नहीं है।
4.
व्यभिचारिणी होने का जो कहो सो तो विवाह होने पर भी जिस को व्यभिचार करना
5.
चोरी करना, झुठ बोलना, हिंसा करना, व्यभिचार करना कोई धर्म नहीं सिखलाता।
6.
मंगनी की उस अवधि में व्यभिचार करना उस समय तलाक का एकमात्र वैध कारण हो सकता है ।
7.
वेद एवं वेदांग में पारंगत होने के बावजूद वे ‘ गोधर्म ‘ (पशुओं की भाँति सार्वजनिक रूप से व्यभिचार करना) किया करते थे।
8.
बुरी या कड़वी बात कहना, चोरी करना, झूठ बोलना, हत्या (हिंसा) करना, नशेपते का सेवन करना, व्यभिचार करना...
9.
स्त्री शक्ति शास्त्रों में यह जानकर कि स्त्रियों में पुरुषों से आठ गुना अधिक काम भाव होता है, अपने पुरुषत्व के हीन भाव से ग्रसित उन्होंने स्त्रियों के साथ व्यभिचार करना शुरू कर दिया ।
10.
उदाहरण के लिये इस नवसाहित्य में बहिन, भाभी, मौसी, बुआ, मां आदि को न केवल कामक्रिया के लिये उपयुक्त बताया जा रहा है, बल्कि नौजवानों को यह भी सिखाया जा रहा है कि परिवार कें अंदर (परिवार के सदस्यों के साथ) व्यभिचार करना आसान, सुरक्षित, चाहने योग्य, एवं बहुत सुरक्षित कार्य है.